चाइनीज पिचकारियों पर भारी है, इस बार “इंडिया मेड” रंग,गुलाल,स्प्रे और पिचकारियां

*होली के त्योहार को लेकर खरीद फरोख्त शुरू

 

 

फोटो:- होली को लेकर बाजार में आई तरह-तरह की पिचकरिया गुलाल, रंग, स्प्रे और मास्क 

 

जसवंतनगर (इटावा)। होली का त्योहार सर पर आ गया है। लोग होली के मूड में आने लग गए हैं। बच्चों में होली का उत्साह शुरू हो गया है। उनके स्कूल होली की छुट्टियां के लिए बंद होने शुरू हो गए हैं। स्कूलों से ही होली के रंग- गुलाल बच्चे उड़ाने लगे हैं।
बच्चों को होली के रंगों और गुलाल से ज्यादा पिचकारियों, मुखोटों और टोपिया के प्रति आकर्षण होता है। उनके लिए बाजार सजने भी शुरू हो गए हैं।

इस बार खास बात यह है कि चाइना मेड पिचकरिया बाजारों में कम दिख रही है। अपने देश इंडिया में बनी पिचकरिया दुकानों पर इस बार आकर्षण का विषय बनी है और अनेक वेरायटीज की पिचकरिया बाजारों में आई है।
अब पिचकारियों के प्रकार भी कई तरह के हो गए हैं। मसलन प्लास्टिक की पिचकारियों के अलावा अब रंग गुलाल और फाग फेंकने वाले ऑटोमेटिक टैंक टाइप और पटाखेनुमा पिचकरिया भी बाजारों में आ गई है।

दो-तीन वर्ष पूर्व बाजारों में चीन की बनी पिचकारियों की बाहर रहती थी, मगर अब जो पिचकरिया बाजारों में आई हैं वह न केवल चाइनीज पिचकारियों से ज्यादा बेहतर है, बल्कि उनमें खूबसूरती और वैरायटी भी हैं। इंडिया मेड इन पिचकारियों में मजबूती भी कम नहीं है। जो वैरियटयां आई हैं ,वह चीनी पिचकारियों की तुलना में भले ही थोड़ा बहुत महंगी हो। पिचकारी खरीदने के बाद यदि 24 घंटे के अंदर कोई खराबी भी आती है ,तो दुकानदार उनकी गारंटी दे रहे हैं।

पुराने जमाने में पीतल की पिचकरिया और बोतलों में डालकर चलाने वाले स्प्रेयर खूब बिकते थे। अब पीतल और लोहे की लंबी-लंबी पिचकरिया कम बिकती हैं, जबकि डिजाइन दार बंदूक, जानवरों के शेप और टैंक नुमा आदि प्रकार की पिचकारियों की बहार है।
इटावा शहर और जसवंत नगर में इस बार पिचकरिया बेचने वाले ज्यादातर पिचकरिया दिल्ली, आगरा, कानपुर आदि शहरों से थोक में लाकर बेच रहे हैं। बताते हैं कि इस बार पिचकारियों की जो वेराइटी आई हैं वह गत वर्षो की तुलना में ज्यादा नई और व आकर्षक है।
यहां जसवंत नगर कस्बा में “आराध्य वन स्टॉप” पर पिचकारियों का बड़ा स्टॉक है। पिचकारियों के साथ-साथ उनके यहां विभिन्न तरह के गुलाल रंग और स्प्रे फाग बिक रहे हैं आराध्य जैन बताते हैं कि इस बार रंग और गुलाल कई तरह के आए हैं, जिनमें न केवल रंगों की वैरायटी है बल्कि उनमें तरह-तरह की खुशबू आती है साथ ही उनकी क्वालिटी इतनी अच्छी है कि पहले बिकने वाले रंग गुलालों की अपेक्षा वह ज्यादा आकर्षक और चमकदार भी हैं।
उन्होंने बताया कि मेक इन इंडिया के तहत सारी पिचकारी इंडियन है। चाइना का कोई भी माल दुकान पर नहीं है। बड़ी-बड़ी कंपनियों के ब्रांडेड आइटम स्नो स्प्रे, गुलाल सिलेंडर, कलर फोग, स्मोक फाग गुलाल क्रैकर, पायरोगन के अलावा हर्बल व ऑर्गेनिक गुलाल, हर्बल कलर आए हैं

पिचकारियों की रेंज में आकर्षक वाटर टैंक, वाटर गन, वाटर बैलून, हेयर स्टाइल विभिन्न प्रकार के चेहरे मास्क, टोपी आदि उपलब्ध हैं।उनके यहां ₹50 से लेकर ₹2000 कीमत तक की पिचकरिया हैं जो ₹2000 की पिचकरिया हैं वह टैंक नुमा है और उन में प्रेशर से रंग और गुलाल भरा हुआ है। उनके प्रेशर पॉइंट दबाने से उनसे न केवल आकाश का माहौल रंगीन होगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कुछ पटाखे नुमा गुलाल भी आए हैं, जिन्हें चलाने के लिए या तो टैंक हैं अथवा बंदूकें हैं। जिनमे गुलाल भरे पटाखे लोड रंग गुलालों को उड़ाया जा सकता है।
यहां छोटा चौराहा पर भी एक थोक विक्रेता बांके बिहारी सेल्स फर्म के अनुभव वर्मा तनु नई-नई वैरियटयों की पिचकरिया और टैंक तथा स्प्रे बाजार में लेकर आए है। उनका भी कहना है कि इस बार चाइनीज की बजाय इंडियन माल होली के लिए बहुत ही आकर्षक आया है। लोग चाइनीज पिचकारियों को भूल गए हैं
उन्होंने बताया कि पिचकारियों की इतनी तरह की शेप्स आई है कि बच्चे उन्हें बहुत पसंद कर रहे हैं। तनु ने बताया कि उनका माल केवल जसवंत नगर ही नही बल्कि आसपास के फुटकर विक्रेता भी खरीद कर ले जा रहे है और अभी तक सेल अच्छी है।
नगर में छोटे-छोटे दुकानदार भी फड़ों पर पिचकरिया, रंग गुलाल स्प्रे और टोपिया बेच रहे हैं और बुधवार से पिचकारियों और रंगों की बिक्री जमकर होनी शुरू हुई है।

:वेदव्रत गुप्ता
______

Related Articles

Back to top button