जैन धर्म संपूर्ण मानव मात्र के कल्याण का  धर्म है :आदित्य सागर महाराज

   *महाराज ने दो माह प्रवास के बाद  किया विहार

 फोटो:- जसवंतनगर से विहार करने से पूर्व बातचीत करते आदित्य सागर जी महाराज
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    जसवंतनगर (इटावा)। जैन मुनि आचार्य आदित्य सागर जी महाराज ने कहा है कि जैन धर्म विश्व धर्म है। यह किसी  एक व्यक्ति से  नहीं  बना है। पूरे मानव मात्र का धर्म है। यह धर्म किसी को सताने या परेशान करने की इजाजत नहीं देता है।
      उन्होंने कहा कि जैन धर्म के संत कभी राजनीति में भागीदार नहीं बनते और न ही लगाव या रुचि रखते हैं। क्योंकि राजनीति  एक दूसरे में बैर कराने  का ज्यादा काम करती है । फिर हम सब मुनि सारा कुछ जीवन में त्याग देते हैं, इसलिए किसी से लगाव रखना हमारे आचार विचार के विरुद्ध है।हमारे जैन धर्म का उद्देश्य पारस्परिक सद्भाव और आपसी प्रेम है।
      आचार्य श्री आदित्य सागरजी महाराज  बुधवार को यहां जसवंत नगर से विहार कर रहे थे।वह 2 महीने से जसवन्तनगर में विराजमान थे। उनके सानिध्य में जसवंत नगर में “पंचकल्याणक महोत्सव” और पार्श्वनाथ  दिगंबर जैन मंदिर में “वेदी स्थापना” के कार्यक्रम आयोजित हुए । आदित्य सागर ने दोपहर दो बजे बाद सिरसागंज की ओर जब विहार किया, तो सभी जैन समाज के लोगों ने  अश्रुपूरित नेत्रों से उनको विदाई दी। उन्हें विदाई देने के लिए दर्जनों जैन माताबलंबी उनके साथ रवाना हुए।
         पत्रकारों से बातचीत करते हुए जसवंत नगर में अपने  संदेश में उन्होंने बताया कि जैन धर्म आध्यात्मिक धर्म है और इसमें आत्मा के कल्याण की बात की जाती है।
उन्होंने बताया कि भगवान, राम, कृष्ण और महावीर ने जन जन  के कल्याण की बात की थी। इसी वजह से वह धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने कहा कि राम,कृष्ण और भगवान महावीर सभी परोपकार के  पथ पर चल थे। जीवन में कष्टों को सहते हुए भी इस  पथ से अपने को विरक्त नही किया था।
    उन्होंने कहा कि जैन धर्म का मानना है कि “वसुधैव कुटुंबकम”  की भावना हम सब में रहे। सभी भारतवासी आपसी मेल मिलाप से रहें। इसके लिए सभी ऋषि मुनि अपने जीवन काल भर  प्रयास रत रहे है। हमारी भी यही भावना है कि  हम सब लोग भी आपसी मेल मिलाप से रहे। धर्म के रास्ते पर चलें। किसी कमजोर को न सताए। जीव जंतुओं से प्रेम करें । यह जीवन, जो कि हमें मानव जीवन  के रूप में मिला है उसमें हम पुण्य लाभ प्राप्त कर जग कल्याण की भावना से ओतप्रोत रहें। विभिन्न योनियों से मुक्ति पाए।
        आचार्यआदित्य सागर जी महाराज ने ससंघ विहार किया।उनके साथ क्षुल्लक की दीक्षा ग्रहण करने वाले प्रार्थना सागर भी विहार पर गए। महाराज के साथ आए सिद्ध सागर जी नही थे, क्योंकि वह गत दिनों समाधिस्थ हो गए थे। उनका साथ विहार में न होने से आदित्य सागर जी महाराज व्यथित थे ।
   उन्हे विहार दौरान विदाई देने वालों में  जैन समाज के अध्यक्ष राजेश जैन, शिवकांत जैन, आराध्य जैन,निकेतन जैन, रजत जैन, अनुपम जैन, अंकुर जैन, राजकमल जैन, आशीष जैन, एकांश जैन,अंकित जैन,मनोज जैन ,चेतन जैन, प्रखर जैन, सम्यक जैन ,रोहित जैन,विवेक जैन, अतुल जैन बजाज,सचिन जैन,विनीत जैन,मणिकांत जैन,नीरज जैन फडडू,सौरभ जैन,मोहित जैन,नितिन जैन,विनोद जैन, अनुभव जैन,विशाल जैन रौकी ,संजय जैन व जैन समाज जैन बाजार और लुधपुरा समाज के लोग उपस्थित रहे। भारी संख्या में जैन महिलाएं भी उपस्थित थीं।
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 फोटो:- जसवंतनगर से विहार करने से पूर्व बातचीत करते आदित्य सागर जी महाराज
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