जैन मुनि क्षुल्लक “सिद्ध सागर महाराज” जसवंतनगर में हुए समाधिलीन

*शोक में डूबा जैन समाज * आदित्य सागर महाराज के थे शिष्य *पंचकल्याणक आयोजन के दौरान पधारे थे

 फोटो:- समाधिस्थ क्षुल्लक सिद्ध  सागर जी महायात्रा दौरान, अंतिम यात्रा में शोकाकुल भीड़
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जसवंतनगर (इटावा)। नगर में लगभग दो माह से  जैन आचार्य  आदित्य सागर जी महाराज के साथ  विराजमान उनके शिष्य और संघ के क्षुल्लक 105 सिद्ध सागर जी महाराज  यहां शुक्रवार को समतापूर्वक समाधिलीन हो गए ।
श्री सिद्ध सागर यहां जनवरी के अंतिम सप्ताह में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल होने अपने गुरुदेव आचार्य आदित्य सागर जी महाराज के साथ पधारे थे।
 उन्होंने समाधि प्रातः 9:00 बजे के आसपास ली। जिससे जैन समाज के लोग शोक में डूब गए। सूत्रों ने बताया है कि सिद्ध सागर जी अच्छे भले थे और सुबह 7 बजे की करीब प्रतिक्रमण क्रिया में लीन थे, उस समय उन्हें सिर में दर्द का एहसास हुआ तो उन्होंने आचार्य आदित्य सागर को जब तक बताया तब तक वह अचेत हो गए बाद में  वह 9 बजे के आसपास समाधिलीन  हो गये।
     उन्होंने यह समाधि  पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के संत भवन में ली। सिद्ध सागर महाराज के समाधि लेने की खबर जैसे ही जैन समाज में फैली लोगों ने अपने प्रतिष्ठान बंद करने शुरू कर दिए और संत भवन की ओर महिलाएं पुरुष और बच्चे उनके अंतिम दर्शनों को दौड़ पड़े।
    आपको बता दे कि मुनि श्री सिद्ध सागर जी का जन्म सन 1962 में  खण्डवा मध्य प्रदेश में हुआ था सिद्ध सागर जी के गृहस्थ जीवन का नाम यतेंद्र कुमार जैन था व उनके  माता-व पिता विमल चंद विजयाबाई जैन निमरानी वाले था सिद्ध सागर जी ने  सन 2015 में ग्रह त्याग कर एव 15/10/2016 को शिखरजी में आचार्य आदर्श सागर जी महाराज से दीक्षा प्राप्त कर कल्याण मार्ग पर चल दिये।
      आचार्य आदित्य सागर जी महाराज तथा संघ के अन्यों  ने शोकाकुल हो णमोकार मंत्र का जाप शुरू कर दिया और आहारचार्य का भी त्याग कर दिया।
 उनकी अंतिम मोक्ष धाम यात्रा दोपहर में आरंभ हुई, जैन आचार्य आदित्य सागर जी महाराज आगे आगे चले। जब तक सूरज सा चांद रहेगा सिद्ध सागर तुम्हारा नाम रहेगा आदि नारे लोग  गूंजा रहे थे।इस मोक्ष धाम यात्रा में शरीक होकर लोग अपना मोक्ष प्रशस्त करने को आतुर थे।मोक्ष धाम यात्रा नगर भृमण करते हुए समाधी स्थल महावीर वाटिका जैन बाजार में  पहुंची और उन्हे जहां विधि विधान तथा णमोकार मंत्र के बीच अग्नि को समर्पित कर दिया गया। इस अवसर पर मौजूद सकल जैन मोहल्ला और लुदपुरा का जैन समाज अश्रुपूरित था। आचार्य आदित्य सागर महाराज जी भी भाव विह्वल दिखे।
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*वेदव्रत गुप्ता
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