*बलिदानों से ही बलवती हुई है भारत की भूमि- तरनपाल सिंह* *‘धर्म रक्षा की मिसाल थी गुरु तेगबहादुर की शहादत’*
*बलिदानों से ही बलवती हुई है भारत की भूमि- तरनपाल सिंह*
*‘धर्म रक्षा की मिसाल थी गुरु तेगबहादुर की शहादत’
*श्री गुरुतेग बहादुर साहिब ‘हिन्द की चादर’ थे*
*इटावा।गुरू तेगबहादुर जी ने स्वयं के लिए नहीं बल्कि दूसरों के अधिकारों एवं विश्वासों की रक्षा हेतु अपनी शहीदी दी।ऐसे धर्म और संस्कृति की रक्षा करने को बेमिसाल शहादत देने वाले श्री गुरुतेग बहादुर साहिब के शहीदी पर्व गुरूद्वारा श्री गुरुतेग बहादुर साहिब में श्रद्धा व भक्ति भाव से मनाया गया।इस अवसर पर सबद कीर्तन प्रचारक जत्थे ने गुरुतेग बहादुर साहिब की शहादत का प्रभावशाली वर्णन करके संगतों को निहाल कर दिया।उन्होंने बताया कि सनातन धर्म की रक्षा करने के लिये हंसते-हंसते प्राणों की आहुति दिये जाने की ऐसी मिसाल इतिहास में दूसरी नहीं हो सकती।*
*इस अवसर पर गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष तरनपाल सिंह कालड़ा ने श्री गुरुतेग बहादुर साहिब की शहादत पर व जीवन पर प्रकाश डालते हुये बताया कि भारतीय संस्कृति त्याग और बलिदान से ही बलवती हुई है। भारत की भूमि को अनेकों सन्तों, राजाओं,वीरों ने त्याग,बलिदान व कलम से सशक्त बनाया है।श्री गुरुतेग बहादुर साहिब का समूचा जीवन ही त्याग का जीवन है।मजलूमों,गरीबों के लिये हमदर्दी से भरपूर उनका जीवन लोगों के दुख दूर करने,समाज को एक जुट करने वाले देश के लोगों के लिये एक शिक्षा और मार्ग दर्शन का जीवन है।उन्होंने बताया कि संसार में लोग अपने-अपने मनोरथ के लिये तो कुर्बानी देते आये हैं लेकिन दूसरे के मनोरथ के लिये एवं दूसरों के हितों के लिये एवं दूसरों के धर्म की रक्षा के लिये श्री गुरुतेग बहादुर साहिब की शहादत ऐसी एक विशेष घटना है कि जिसकी मिसाल धरती पर इतिहास में कहीं नहीं मिलती है।श्री गुरुतेग बहादुर साहिब का जीवन धर्म की रक्षा के लिये त्याग से परिपूर्ण है।*
*इस अवसर पर गुरूद्वारा के मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी गुरुदीप सिंह द्वारा मनोहारी कीर्तन किया गया एवं उन्होंने गुरूद्वारा गुरुतेग बहादुर साहिब के त्याग व सेवा से पूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि गुरू तेग बहादुर साहिब के बलिदान से प्रेरणा मिलती है कि उन्होंने अपने प्राण तो दिए परन्तु सत्य का त्याग नहीं किया।इस अवसर पर सिमरन अरोरा,सिमरन कालरा,दिलप्रीत कालरा,गुरप्रीत कौर मोंगा,सुहावी,असमीत कौर व उत्तम कौर ने गुरू तेगबहादुर साहिब द्वारा रचित वाणी को कीर्तन गायन पढ़कर श्रद्धांजलि अर्पित की।*
*अन्त में इस कार्यक्रम में सहयोग के लिये चरनजीत सिंह काका, मनदीप सिंह,जसवीर सिंह पप्पी,दलजीत सिंह,राजा साहनी, रिंकू मोगा ने प्रबन्धक कमेटी की तरफ से अखण्ड पाठ एवं लंगर करवाने वाले परिवार व सभी साध संगत का धन्यवाद किया।*
*राजेन्द्र भसीन*