इच्छा नवमी पर्व पर महिलाओं ने आंवले के वृक्ष  की पूजा कर वहीं तोड़ा अपना व्रत

    *सदियों पुराना पौराणिक पर्व है,इच्छा नवमी

 फोटो:- कोठी कैस्थ में आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा करती महिलाएं
 जसवंतनगर (इटावा)। अक्षय नवमी यानि कि आंवला नवमी मंगलवार को थी। महिलाओं ने यहां नगर में आंवले के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना की और अपना  अक्षय नवमी व्रत तोड़ा तथा अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। महिलाएं अपने साथ घरों से भोजन लेकर भी पहुंची थी ,जिसे उन्होंने पहले आंवले के वृक्ष को अर्पित किया, फिर उससे व्रत तोड़ा।
    धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, अगर भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण  की पूजा आंवले के वृक्ष के नीचे करें।
    अक्षय नवमी का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही आंवला पेड़ के नीचे भोजन भी बनाने और वही उस भोजन से व्रत तोड़ना फलदाई माना जाता है।
      इस पर्व को  इच्छा नवमी के साथ साथ आंवला नवमी भी कहा जाता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। पूजा के समय ये व्रत कथा सुनी जाती है।

   सनातन शास्त्रों की मानें तो चिरकाल में सुख-समृद्धि की दात्री मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने हेतु धरा पर आईं। उस समय उन्होंने पृथ्वी पर देखा कि सभी लोग भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं। यह देख उनके मन में भी दोनों देवों की पूजा करने का ख्याल आया। हालांकि दोंनो देवों की एक साथ कैसे पूजा की जाए, यह सोच मां लक्ष्मी भी विचार मग्न हो गईं।

कुछ पल विचार मग्न होने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि धरा पर तो दोनों देवों की एकसाथ पूजा केवल और केवल आंवले पेड़ के सन्मुख की जा सकती है क्योंकि आंवला में बेल और तुलसी दोनों गुण पाए जाते हैं।

इसके पश्चात, मां लक्ष्मी ने विधि-विधान से आवंले पेड़ (भगवान शिव और विष्णु जी) की पूजा की। मां लक्ष्मी की भक्ति देख दोनों देव प्रकट हुए। उस समय मां लक्ष्मी ने आंवला पेड़ के पास भोजन पकाया और दोनों देवों को भोजन कराया। उस समय से हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है। नगर की कोठी कैस्थ  निवासिनी भावना चतुर्वेदी ने बताया की यहां स्थित आंवले के पेड़ के नीचे पूजा करने सैकड़ो महिलाएं पहुंची और उन्होंने पूजा अर्चना के साथ वहीं पर भोजन करते हुए अपना व्रत तोड़ा।

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*वेदव्रत गुप्ता

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