कहारो…!,संभल कर उठाना राम का डोला, सड़क पर हैं, सैकड़ों गड्ढे

फोटो:- अपने कंधे पर डोले में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता को बैठाकर रामलीला मैदान ले जाते हुए कहार
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जसवंतनगर (इटावा)। समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब पदारूढ़ हुई थी तब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का पहला बयान था कि प्रदेश की कोई भी सड़क गड्ढा युक्त नहीं रहेगी।
मगर भाजपा के सर्वाधिक आराध्य भगवान राम का डोला(विमान) कहारो द्वारा अपने कंधों पर रखकर सैकड़ों गड्ढों में से गुजरते राम की लीलाओं के लिए यहां रामलीला मैदान में ले जाया जाएगा।
डेढ़ सौ वर्षो से अधिक पुरानी जसवंत नगर की रामलीला आरंभ हो चुकी है । परंपरा अनुसार यहां हर दोपहर भगवान राम, लक्ष्मण, सीता आदि स्वरूपों को 8 कहार अपने कंधों पर एक विमान रूपी डोले पर बैठा कर नरसिंह मंदिर कटरा पुख्ता से रामलीला मैदान ले जाते हैं।
रामलीला मैदान तक का यह रास्ता करीब 400 मी लंबा है। इस रोड पर स्वर्गीय अजय लंबरदार के घर से लेकर बड़े चौराहे तक सैकड़ो गड्ढे और स्पीड ब्रेकर जानलेवा बन गए है । अखिलेश यादव सरकार में इस रोड को हॉट मिक्सड कराया गया था और तब रामलीला का यह विमान बड़ी आसानी से रामलीला मैदान तक जाता था । रात में लौटता था, मगर पिछले दो तीन वर्षों से लोक निर्माण विभाग द्वारा इस सड़क के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है, इस वजह से यह सड़क गड्ढा युक्त बन गई है।
हालत यह है कि रोड पर सैकड़ो गड्ढे हैं । इन गड्ढों में दो पहिया वाहन और साइकिल चालक हिचकोले लेते हुए गुजरते हैं। आए दिन वहां चालक गिर कर चोटिल भी होते हैं।
जसवंत नगर की रामलीला देश भर में अपनी परंपराओं को लेकर प्रसिद्ध है और भगवान राम के डोले का निकलना यहां बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि आठ कहार अपने कंधों पर भगवान राम के डोले को लेकर निकलते हैं।
सड़क की हालत खराब होने से इस बार इन कहारों को भारी दिक्कत होने वाली है, क्योंकि वह नंगे पैरों डोले को लेकर चलते हैं। रामलीला महोत्सव में करीब 10- 12 दिन राम का डोला इस सड़क से गुजरेगा।
इस संबंध में स्वयं रामलीला समिति को भी अफसरों का ध्यान आकर्षित करना चाहिए था।अफसरों की आवभगत के साथ साथ समस्याओं को भी हल कराना चाहिए, फिर रोड की समस्या डोले के लिए दुष्कर समस्या है।
नगर पालिका प्रशासन या स्थानीय उप जिलाधिकारी यदि लोक निर्माण विभाग से पहल करें, तो यह सड़क रातों-रात गड्ढा मुक्त हो सकती है।
*वेदव्रत गुप्ता
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