उत्तम त्याग धर्म के रुप में मनाया दशलक्षण का आठवां दिन

इटावा। दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण पर्व में कई श्रावक-श्राविकाएं सौलह एवं दस उपवास पूर्ण करने की ओर बढ रहे है। जैन समाज में उपवास के दौरान किसी भी प्रकार के खाने-पीने पर पूर्ण त्याग होता है। विश्व जैन संग़ठन अध्यक्ष आकाशदीप जैन ने बताया कि दशलक्षण पर्व के आठवें दिन श्उत्तम त्याग धर्मश् की आराधना की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रावकों ने अभिषेक एवं शांतिधारा की। जैन दर्शन केउत्तम त्याग धर्म के रुप में मनाया दशलक्षण का आठवां दिन अनुसार दिगम्बर मुनि ही उत्तम त्याग करते है, जो कि परिवार, व्यापार एवं सांसारिक सभी संबंधों को त्याग कर मोक्ष मार्ग पर चलते है। श्रावकों के लिए आहार दान, औषधि दान, अभयदान आदि चार दान बताए गए है। शहर के छपैटी स्थित दिगम्बर जैन मंदिर के ट्रस्टी राकेश जैन ने बताया भगवान को नमन करते हुए पर्यूषण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म एवं रत्नत्रय की पूजा के साथ मनाया गया। इसमें उत्तम त्याग धर्म की महिमा का वर्णन करते हुए बताया गया कि आधी आय परिवार, एक चौथाई आपत्ति के लिए एवं एक चौथाई का दान ही उत्तम त्याग है। इसी के साथ तेरह जिनालयों में बड़ी संख्या में जैन धर्मालंबियों के द्रारा पूजा अर्चना की जा रही है।

 

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