इकदिल, इटावा। नगला तार स्थित शिवमन्दिर पर राजपूत क्लब द्वारा डाक कांवड यात्रा का शुभारम्भ वैदिक पूजन करके किया गया । इस अवसर पर आचार्य पं.विनय कुमार द्विवेदी पूर्व जिलाध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद ने कावड़ियों को तिलक करके रक्षासूत्र बाधा तथा अंगवस्त्र प्रदान किये । उन्होंने बताया कि कांवड़ यात्रा प्रारम्भ के पीछे एक पौराणिक कथा है जब देवता और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मन्थन किया उस समय समुद्र से सर्वप्रथम हलाहल विष निकला जिससे तीन लोक के जीव व्याकुल हो उठे तब देवों ने महादेव का आवाहन किया तथा विष से मुक्ति पाने के लिये उनकी स्तुति की तब अवढरदानी भोलेनाथ ने वह हलाहल विष स्वयं पी लिया जिससे उनका कण्ठ नीला पड़ गया और उनका नाम नीलकण्ठ पड़ गया । उस हलाहल विष से शिव के गले में जलन होने लगी तब ब्रह्मा विष्णु सहित सभी देवताओं ने बेलपत्री अर्कपुष्प भांग धतूर से उनकी पूजाअर्चना की तथा जलधारा से शिव का अभिषेक ( स्नान ) किया जिससे उनको विष से होने वाली जलन से मुक्ति मिली । उसी दिन से भोले बाबा शिव को प्रसन्न करने के लिये भक्तगण गंगा का जल कांवड़ में भरकर शिव लिंग पर चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं तथा अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करते हैं। त्रेता में शिवभक्त रावण ने भी शिव का कांवड़ द्वारा जलाभिषेक किया था । डाक कांवड़ के महन्त राघवेन्द्र राजपूत हैं तथा इसका नेतृत्व हरीशंकर राजपूत द्वारा किया जा रहा है । वहीं कांवड़ यात्रियों में हरगोविन्द वीनेश यतेन्द्र सुनील मनोज अनूप अनुराग हिमांशू सुशान्त सुमित श्यामू सोनू प्रदीप अभिषेक निखिल आकाश सचिन गोल्डन अमन आकाश विपिन सत्यम आकाश सचिन साहिल सन्जू कपिल मनीष आदि उपस्थित थे । यह यात्रा नगला तार से श्रंगीरामपुर ( फर्रुखाबाद ) तथा वहाँ से सोमवार को पुनः नगला तार वापस आयेगी ।