काकोरी कांड में जेल गए थे इटावा के क्रांतिकारी वीर सपूत बाबू ज्योति शंकर दीक्षित

 

इटावा। देश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान हुए काकोरी कांड के वीर सपूतों में शामिल थे इटावा के वीर सपूत क्रांतिकारी बाबू ज्योति शंकर दीक्षित। देश के आज़ादी में उनके योगदान को भुलाया नही जा सकता। जब भी देश की आज़ादी की बात होती है तो उसमें इटावा का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। इटावा के एक लाल वीर सपूत बाबू ज्योति शंकर दीक्षित ने भी काकोरी कांड में शामिल होकर जनपद और देश का झंडा बुलंद रखने की लड़ाई में योगदान दिया था।बाबू जी को काकोरी कांड के लिये 9 अगस्त 1925 को इलाहाबाद से गिरफ्तार किया गया था और 1927 को सजा सुनाई गई थी। क्रांतिकारी बाबू ज्योति शंकर दीक्षित का व्यक्तिव इतना महान था कि देश आजाद होने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन लेने से इनकार कर दिया था। क्रांतिकारी बाबू ज्योति शंकर दीक्षित के पौत्र प्रतिभा शंकर दीक्षित ने बताया कि बाबूजी ने सरकार द्वारा क्रांतिकारियो को मिलने वाली सुविधाओं को लेने से भी इंकार कर दिया था। जबकि उनके परिवार को इसकी बहुत जरूरत थी। उन्होंने बताया कि बाबू जी का कहना था कि देश की आज़ादी की लड़ाई की कोई कीमत नही हो सकती। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन का भी समर्थन नही किया था। उनके पौत्र प्रतिभा शंकर दीक्षित को आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने वाले क्रांतिकारी के पौत्र के तौर पर विगत दिनों सदर विधायक सरिता भदौरिया ने सम्मानित किया था। इसके अतिरिक्त विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनके सम्मानित किया जा चुका है।

 

 

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