सावन सूखा, मानसून रूठा..धान- बाजरा उत्पादकों के माथे पर पसीना

*किसान टक टकी लगाये है आसमान की ओर

फोटो:- वर्षा की कमी से धान की फसल का रुका हुआ बढ़ाव
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   जसवंतनगर(इटावा)। पिछले 10-12 दिनों से आसमान में बादलों की आवाजाही के बीच सूर्य की चमक मौसम में जबरदस्त उमस और गर्मी पैदा किये है।  इन दिनों हवा का रुख जो पुरवइया होना चाहिए, उसकी जगह  पछुआ चल रही है।इस तरह का  मौसम किसानों के माथे पर पसीना ला रहा है, क्योंकि धान और बाजरा दोनों ही फसलों  को इन दिनों बरसात की सख्त जरूरत है मगर इंद्र देवता लगता है, कि इस सावन के महीने में बरसात करना भूल गए है।
        बरसात का मौसम उत्तर प्रदेश में 15 जून से लेकर 15 सितंबर तक 3 महीनों का होता है। मगर इस बार 15 जून के आसपास बरसात शुरू हो गई थी और 1 महीने तक जब किसानों को पानी की कम जरूरत थी, तब जमकर बादल बरसे। खेतों में गरकी तक आ गई और हर तरफ भारी वर्षा को लेकर हाय तौबा मच गई। हालत यह भी हुई कि बाजरा बोने के लिए किसानों को खेतोन्मे ओट आने का इंतजार करना पड़ा           मक्के की खड़ी फसल तेज बरसात के कारण या तो खेतों में गिर गई अथवा खलिहानों  में सूखने के लिए पड़ी रही।
      अच्छी बात तो यह रही की धान उत्पादक किसानों को धन पौध तैयार करने और पौधारोपण का काम करने के लिए 15 जून से लेकर 15 जुलाई तक हुई तेज बरसात लाभदाई साबित हुई। 
   मगर उसके बाद मानसून की धीमी पड़ी गति अब किसानों पर भारी पड़ रही है।
     इस समय खेतों में बाजारा की फसल अपने बढ़ाव और बाल बनने की प्रक्रिया में है, मगर अपेक्षित बरसात न होने से बाजरे  की फसल को सिंचाई की सख्त जरूरत  पड़ रही है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन है। वह नलकूपो और नहर बंबों  व पंपसेटो से सिंचाई करके जैसे तैसे फसल को बचाएं हैं। और जिन के पास सिंचाई के साधन नहीं है, उनके खेतों में बाजरा की खेती पीली पड़ रही है। उसे बरसात की सख्त जरूरत है।
   इन दोनों यही हालत धान की फसल की है, क्योंकि रोपी गई धान की फसल बढ़ाव पर है और उसे खेतों में पानी की सख्त जरूरत है मगर इंद्र देवता के रूठे होने से फसल अपेक्षित बढ़ाव लेना तो दूर पीली पड़ रही है।पानी की कमी से धान की फसल में बीमारियां भी लगनी शुरू हो गई है।
    धान उत्पादक किसान रामस्वरूप शाक्य ने बताया है कि इस समय बरसात की सख्त जरूरत है, मगर सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सावन के इस महीने में सूर्य देवता धान के खेतों के पानी को गर्म करके जड़ों को कमजोर कर रहे हैं। इससे धान की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
   बरसात न होने से न केवल धान और बाजरा उत्पादक किसान परेशान है, बल्कि सब्जियां बोने वाले किसानों को भी  परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सिंचाई के अभाव में सब्जियों की पौध पीली पड़कर मर रही है। अब उनसे पैदावार कम मिलने की संभावना बन गई है।
    बलरई, धरबार ,कुरसेना, धनुवा , जौनई, सिसहाट, भतौरा, मलजनी बनकटी, केवाला आदि गांव के किसानों ने बताया है कि अगर दो चार दिन में तेज बरसात नहीं होती है, तो बाजरा और धान की फसलों का तो नुकसान होगा ही, क्षेत्र में जल स्तर, जो पहले से ही गिरा हुआ है वह और भी गिर जाएगा। साथ ही आगामी आलू, प्याज, लहसुन, गेहूं और चना की फसलों के लिए भी किसानों को तैयारी करना मुश्किल हो जाएगा।
-वेदव्रत गुप्ता
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