अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मेडिकल की परीक्षा में आरक्षण देना हो सकता हैं पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक

पीएम मोदी के मेडिकल की परीक्षा में ओबीसी और अति गरीबों को आरक्षण के कदम को मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है. खुद पीएम भी इसे सामाजिक उत्थान के लिहाज से मास्टर स्ट्रोक ही मान रहे हैं.

यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला कौन सी बाजी पलटने के लिए लिया गया? साथ ही सवाल ये भी कि इस आरक्षण के मास्टरकार्ड की जरूरत क्यों महसूस हुई?

तो सपाट अंदाज में ऐसे समझिए कि देश में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के बाद पिछड़ों को 27 फ़ीसदी आरक्षण की शुरुआत हुई थी. उसके बावजूद देश में मेडिकल पाठ्यक्रमों के अखिल भारतीय हिस्सेदारी (ऑल इंडिया कोटा) में यह आरक्षण नहीं मिल पा रहा था.

देश के सभी मेडिकल कालेजों की एमबीबीएस सीटों में 15 प्रतिशत और परास्नातक यानी एमडी/एमएस आदि सीटों में 50 प्रतिशत ऑल इंडिया कोटे से भरी जाती हैं.

अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को यह लाभ नहीं मिल रहा था. उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेडिकल पढ़ाई के ऑल इंडिया कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के रूप में -मास्टर स्ट्रोक- खेला है.

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