सर्पमित्र डा0 आशीष ने 4 फीट लम्बी विषखांफर रैस्क्यू किया 

भरथना, इटावा! रिहायशी मकान में करीब 4 फीट लम्बी विषखांफर बैठी देख घर में रह रहे लोगों के होश उड गये। सुरक्षा की दृष्टि से घर छोडकर बाहर भागे परिवार को देख आसपास मुहल्लेवासियों में भी हडकम्प मच गया। वन विभाग की निष्क्रियता के चलते सर्पमित्र डा0 आशीष त्रिपाठी ने कडी मशक्कत के बीच रैस्क्यू कर विषखांफर को सुरक्षित पकडकर मुहल्लेवासियों को भयमुक्त किया।

रविवार की सुबह करीब 9 बजे कस्बा के मुहल्ला बृजराज नगर स्थित धर्मेन्द्र सिंह यादव पुत्र स्व0 भारत सिंह यादव के मकान मेें रह रहे किरायेदार के परिवार में उस समय हडकम्प मच गया, जब गृह कार्य में लगी किरायेदार की पत्नी ने घर के कमरे के अन्दर करीब 4 फीट लम्बी विषखांफर को बैठा देखा। विषखांफर देख घरवालों के होश उड गये और सुरक्षा की दृष्टि से वह सभी घर छोडकर बाहर सडक पर भाग खडे हुए। जिसे देख आसपास के मुहल्लेवासियों में भी हडकम्प मच गया। सूचना पर पहुँचे मुहल्लेवासियों तनुज श्रीवास्तव, आनन्द यादव आदि ने उपजिलाधिकारी कुमार सत्यम जीत समेत वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को उक्त घटना के सम्बन्ध में अवगत कराया। बिना संसाधनयुक्त वनकर्मियों की असफलता के उपरान्त वन्यजीव विशेषज्ञ सर्पमित्र डा0 आशीष त्रिपाठी (कोर्डिनेटर मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इण्डिया उ0प्र0) को अवगत कराया गया। सूचना मिलते ही मौके पर पहुँचे डा0 आशीष त्रिपाठी ने अपने सहयोगी आशीष पोरवाल के साथ कडी मशक्कत के बीच रैस्क्यू करके करीब 4 फीट लम्बी विषखांफर को सुरक्षित पकडकर वन क्षेत्राधिकारी शिवकुमार के निर्देश पर पहुँचे वन दरोगा महावीर सिंह को रैस्क्यू करके पकडी गई विषखांफर को प्राकृतिक वासना में दोडने के लिए सौंप दी।

उक्त सम्बन्ध में सर्पमित्र डा. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि पूर्व की भ्रांतियों के अनुसार कि विषखांफर के चाटने या मूत्र आदि लगने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, बल्कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। विषखांफर में विष नहीं होता है, बल्कि वैक्टीरिया की वजह से गलाव हो जाता है तथा इसके पंजों की पकड बहुत मजबूत होती है। उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कोबरा या कोई जहरीला सर्प काट लेता है, तो किसी भी प्रकार की झाड फूंक में न पडकर आधा-पौन घण्टा के अन्दर सीधे जिला अस्पताल पहुंँचें, जहाँ समुचित उपचार उपलब्ध है। सूचना पर पहुँचे पालिका कर्मी आदित्य प्रताप सिंह भदौरिया, राघवेन्द्र यादव आदि का विशेष सहयोग रहा।

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