आंतरिक परिवाद समिति का गठन
माधव संदेश/ ब्यूरो चीफ जय सिंह यादव
रायबरेली । जयपाल वर्मा जिला प्रोबेशन अधिकारी रायबरेली ने बताया है कि मा० उच्चतम न्यायालय ने योजित सिविल याचिका के संबंध में निर्देश पारित किया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रख्यापित महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013″ अधिनियम की धारा 4 के अनुपालन में जनपद स्तर के ऐसे प्रत्येक शासकीय, अर्द्ध शासकीय एवं अशासकीय (निजी) विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, शाखा अथवा यूनिट में जहां कार्मिकों की संख्या 10 से अधिक है, ऐसे सभी कार्यालयों के नियोजकों द्वारा कार्य स्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न संबंधी शिकायतों की जांच हेतु “आन्तरिक परिवाद समिति (Internal Complaints Committee) का गठन किया जायेगा। यदि कोई नियोजक अपने कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर सिद्धदोष ठहराया जाता है, तो नियोजक पर रू० 50,000/- तक का अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने का प्राविधान है तथा नियोजक दूसरी बार सिद्ध दोष ठहराये जाने पर पहली दोष सिद्धि पर अधिरोपित दण्ड से दुगने दण्ड का दायी होगा।