श्रीराम सम्पूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत- अंजलि
भरथना, इटावा! मर्यादा और आदर्श के प्रतीक प्रभु श्रीराम सम्पूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। मनुष्य जाति के जीवन और उनके कर्मों का विशेष प्रकार से रामायण में विवरण दिया गया है। दयालु मनुष्य, अभिमानशून्य व्यक्ति, परोपकारी, जितेन्द्रीय ये चारों पवित्र स्तम्भ मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के चरित्र में समाहित हैं।
उक्त बात कस्बा के आजाद रोड स्थित आर्य श्यामा बालिका इण्टर कालेज में स्व0 स्वतंत्र कुमार पोरवाल की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित पाँच दिवसीय पावन गायत्री महायज्ञ एवं श्री रामकथा के दौरान कथा का रसपान कराते हुए अन्तर्राष्ट्रीय श्रीरामकथा वाचिका अंजली आर्या ने उपस्थित श्रोताओं से कही। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र इस पवित्र महाकाव्य रामायण का ही सार है। क्योंकि बाल्मीकि रामायण में 24000 श्लोक हैं। जबकि गायत्री मंत्र में 24 अक्षर हैं, जो रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है। इससे पूर्व प्रातः आयोजकगणों व अन्य श्रद्धालुओं ने पावन गायत्री महायज्ञ में पूर्णाहुति डालकर सर्वकल्याण की कामना की। इस मौके पर आयोजक विजयभान पोरवाल, सत्यभान पोरवाल राजा, सतेन्द्र आर्य, मोहन पोरवाल, रामलखन यादव, सतेन्द्र सक्सेना सहित कई सहयोगियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।