दुनिया में जो जाग गया,वही बना,राम,कृष्ण अथवा महावीर : प्रतीक सागर

* प्रवचनो में बताई लक्ष्य की महत्ता * मन को करें परमात्मा करें समर्पि

   फोटो;-लुधपुरा जैन मंदिर में प्रवचन करते क्रांतिकारी संत मुनि 108 प्रतीक सागर जी महाराज
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जसवंतनगर (इटावा)।महावीर दिगम्बर जैन मंदिर लुधपुरा में जैन मुनि प्रतीक सागर ने शुक्रवार को अपने मार्मिक प्रवचन देते कहा कि आज का इन्सान मोह माया की  दुनिया में बसकर निंद्रालीन है, ऐसे में जो जाग गया ,वही श्री राम, श्री कृष्ण या भगवान महावीर बन सका है।
    महाराज श्री  दो दिनों से यहां प्रवास पर हैं और अपने नित्य प्रवचनो से धर्मानियायियों के ज्ञान चक्षु खोलने को प्रयासरत है।
   अपने प्रवचनों में उन्होंने कहा कि जीवन का कोई न कोई लक्ष्य जरूर ही होना चाहिए। बिना लक्ष्य के जीवन एक मुर्दे के समान है, जो न बोल सकता है,न चल सकता है।मुर्दे कभी नहीं हंसते। श्वास चलना ही जिंदगीनही है, जीवन का कोई न कोई  लक्ष्य अवश्य ही होना चाहिए, तभी जीवन सार्थक बन सकता है। जिनका अपना लक्ष्य होता है, उन्हें रात को नींद नहीं आती।और वह लक्ष्य प्राप्ति तक सदैव जागृत रहते हैं।
उन्होंने बताया कि अर्जुन ने ,कौरवों ने, पांडवों ने, सभी ने धनुरशिक्षा सीखी थी।गुरु द्रोणाचार्य ने जब चिड़िया की परीक्षा के लिए युधिष्ठिर व अर्जुन से बारी-बारी से पूछा.. क्या दिख रहा है?..तो युधिष्ठिर ने कहा पेड़, टेनी ,पत्ते,चिड़िया का मुख आदि आदि दिखायी दे रहा और अर्जुन से पूछा तो अर्जुन ने बस इतना कहा कि उसे केवल चिड़िया की आंख दिखाई  दे रही है।
    ऐसे ही हर एक काम के लिए लक्ष्य निर्धारण कर उस पर हम सब को केंद्रित रहना चाहिये,तभी जीवन में सफलतायें मिलती है और जीवन सार्थक  होता है।जितना अच्छा हमारा लक्ष्य होगा,उतना ही अच्छा उसका परिणाम हमें मिलेगा । 
   महाराज जी ने कहा कि तन परिवार को दीजिये,धन परिवार को दीजिये, लेकिन अपना मन सिर्फ और सिर्फ परमात्मा को दीजिये।हर चीज की हमारी तैयारी होती है। कहीं शादी में जाना हो,तो हमारी तैयारी कई दिनों पहले शुरू हो जाती है !..कभी हमने सोचा है कि जहाँ हमे अंतिम यात्रा पर हमे जाना है, वहां की क्या तैयारी की है? क्या ले के जाना है?.. जिंदगी साँप सीढ़ी के खेल की तरह है। एक से चलकर निन्यानवे पर कहीं भी  काटे जाने पर फिर वही लौटकर आना पड़ता है। जिस पंक्ति से चले थे, इसलिए हम बस 99 के चक्कर में हम पड़े रहते है। एक अकेले खुद को अगर बदलोगे,तो फिर निश्चित ही परमात्मा बन जाओगे।
   प्रवचन सुनने आए धर्म अनुयाई उनके वचनों से अंतर मन तक ओतप्रोत हो गए।
     इस दौरान लुधपुरा मंदिर कमेटी के पदाधिकारी गण देवेंद्र जैन, सत्यप्रकाश जैन, अजय कुमार जैन, सुरेंद्र कुमार जैन, संजीव कुमार जैन प्रवीण कुमार जैन राजीव कुमार जैन के अलावा  वीरेंद्र कुमार जैन वीरू दादा,चेतन जैन निक्काजैन,पिंटू जैन,अक्षत कुमार जैन, राजकुमार जैन, वीना जैन,समीपजैन, विजयकुमार जैन,अंजली जैन,बिंदु जैन,डॉली जैन,भावना जैन, रूबी जैन,अनीता जैन,  विमला जैन रेखा जैन, संगीता जैन, शशि जैन आदि मौजूद थे।
प्रवचनों के उपरांत  महाराज जी को पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, जैन मोहल्ला के वरिष्ठ पदाधिकारियो ने श्रीफल भेंट करते उनसे जैन बाजार  स्थित दिगंबर जैन मंदिर की तरफ विहार कर अपने मुख से धर्म गंगा बहाने का निवेदन किया,जिसे सहज भाव से स्वीकार करते शनिवार सुबह 8 बजे लुधपुरा से जैन मोहल्ला मंदिर विहार की अनुमति प्रदान की।
निवेदन करने वालो में राजकमल जैन,राजकुमार जैन, विनोद जैन,अंकित जैन,आशीष जैन,विनीत जैन,चेतन जैन,रोहित जैन,संजय जैन,विवेक जैन प्रमुख रूप से थे।
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   फोटो;-लुधपुरा जैन मंदिर में प्रवचन करते क्रांतिकारी संत मुनि 108 प्रतीक सागर जी महाराज

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