रात में कभी गार्ड तैनात न होने से जिला सहकारी बैंक में एक बार फिर चोरी

    *रोशनदान का एग्जॉस्ट काटकर ले गए चार मॉनिटर

फोटो:- चोरों द्वारा काटा गया रोशनदान और एग्जॉस्ट फैन तथा बैंक मैनेजर सुजीत सिंह
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जसवंतनगर (इटावा)।.नगर में कार्यरत जिला सहकारी बैंक की शाखा से बीती रात चोर रोशनदान में लगे एग्जॉस्ट फैन को काटकर शाखा के अंदर से चार मॉनिटर चोरी कर ले गए और बैंक  कागजात शाखा के फर्श पर भी बिखेर गए। चोरी की यह घटना बैंक के सुनसान स्थान पर होने और उस पर किसी भी गार्ड की रात्रि गश्त के लिए तैनाती न होने के कारण एक बार फिर हुई है।चोर बैंक से कोई कैश नहीं ले जा सके,क्योंकि सारा कैश जसवंतनगर थाने में रहता है।

     बैंक में पिछले साल 9 मई,2022 को भी चोरी की घटना हुई थी। इससे पूर्व भी जिला सहकारी बैंक की इस शाखा में कई बार चोरी की घटनायें हुई है। बैंक शाखा क्रय विक्रय समिति के  परिसर में एकदम कोने में है और रात्रि में सुनसान पड़ी रहती है। बैंक प्रबंधन ने शाखा की सुरक्षा के लिए दिन में तो गार्ड का इंतजाम कर रखा है ,मगर रात में केवल दो तीन ताले ही सुरक्षा के लिए होते हैं।
     मॉनिटर्स के चोरी चले जाने से बैंक शाखा का कामकाज ठप हो गयाऔर गुरुवार को बैंक ग्राहक परेशान होते रहे।
  बैंक शाखा प्रबंधक सुजीत सिंह ने बताया है कि बुधवार शाम वह शाखा बंद करके गए थे।सुबह जब बैंक सहायक/गार्ड धीरेंद्र सिंह ने सुबह  साढ़े नौ बजे बैंक खोली,तो बैंक के अंदर विभिन्न प्रकार के कागजात फैले पड़े थे, साथ ही बैंक काउंटर पर लगे चार मॉनिटर चोरी हो गए थे।
    उन्होंने बताया कि घटना की सूचना थाना जसवंतनगर पुलिस को दे दी गई है। क्षेत्राधिकारी अतुल प्रधान और थाना प्रभारी मुकेश कुमार सोलंकी ने स्वयं मौके पर पहुंचकर मौका मुआयना किया है।
   शाखा प्रबंधक ने बताया कि चोरी गये मॉनिटर्स की कीमत मुश्किल से 20 हजार रुपए ही होगी,मगर ग्राहकों को भारी असुविधा हुई है। उन्होंने घटना की सूचना अपने जिला सचिव/ कार्यपालक प्रदीप गुप्ता को को दे दी है,ताकि मॉनिटर्स की व्यवस्था शीघ्र हो जाए और बैंक काम काज सामान्य हो सके। ग्राहकों को भी लेनदेन की सुविधा जल्द उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अधिकारियों से  मांग की है कि बैंक शाखा पर रात्रि गस्त और निगरानी के लिए के लिए कोई गार्ड या कर्मचारी अविलंब तैनात किया जाए, ताकि बार-बार होने वाली चोरी की घटनाओं पर रोक लग सके।
*वेदव्रत गुप्ता
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