श्मशान घाट पर चला 149 वें चरण का सफाई अभियान
*पर्यावरण संरक्षण पर गोष्ठी का आयोजन हुआ *यमुना तट पर विद्युत शवदाह गृह स्थापना की पुरजोर मांग हुई
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
औरैया। एक विचित्र पहल सेवा समिति रजि. औरैया द्वारा स्वच्छता अभियान व यमुना तट के सौंदर्यीकरण हेतु यमुना तट पर स्थित श्मशान घाटों पर समिति के सदस्यों द्वारा विगत 9 वर्षों से अनवरत सफाई अभियान चलाया जा रहा हैं, जिसके अंतर्गत आज दिन रविवार को प्रातः 7 बजे से अंत्येष्टि स्थलों पर 149 वें चरण का सफाई अभियान चलाया गया, समिति के सदस्यों ने सफाई यंत्रों के सहयोग से कचरा-अपशिष्ट एकत्रित कर आग द्वारा नष्ट किया उसके उपरांत यमुना तट पर स्थित राम झरोखा में पर्यावरण गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसकी अध्यक्षता भीमसेन सक्सेना ने की, गोष्ठी को संबोधित करते हुए समिति के संस्थापक आनन्द नाथ गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि पर्यावरण और प्राणी एक दूसरे पर आश्रित है, उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण कागजों व फोटो तक सीमित है, धरातल पर पौधे लगने का प्रतिशत बहुत कम है, एक स्वस्थ पेड़ 50 वर्ष से अधिक आयु के उपरांत लकड़ी की आवश्यकता के लिए काट दिया जाता है, निरंतर पेड़ों की हो रही कटान से पर्यावरण असंतुलन का संकट बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण संपूर्ण पृथ्वी प्रदूषित हो रही है, पानी की बर्बादी, बढ़ती जनसंख्या के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है, उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति की अंत्येष्टि में लगभग ढाई से 3 कुंतल लकड़ी का उपयोग किया जाता है, यमुना तट, औरैया में शहर व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग दस अंत्येष्टियां होती हैं जिसमें 30 कुंटल लकड़ी का प्रतिदिन उपयोग होता है, लकड़ी के स्थान पर तीव्र ज्वलनशील गोबर के उपलों के उपयोग व यमुना तट पर विद्युत शवदाह गृह की स्थापना से लकड़ी का उपयोग कम हो सकता है, लकड़ी को बनाया नहीं जा सकता लेकिन बचाया जा सकता है। मौजूद लोगों ने जिला प्रशासन से विद्युत शवदाह गृह स्थापना की मांग की है, गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे भीमसेन सक्सेना ने बताया कि हिंदू धर्म के महान संत व पर्यावरण संरक्षक बिश्नोई पंथ के संस्थापक श्री जंभेश्वर महाराज को दुनिया का पहला पर्यावरण वैज्ञानिक माना जाता है उनके बताए हुए रास्ते पर चलने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए जिसके अंतर्गत लोगों को जागरूक करते हुए बच्चों के जन्मदिन व पूर्वजों की स्मृति में अधिक से अधिक पेड़ पौधों का पौधारोपण कर पानी के दुरुपयोग को रोकना हैं, जिससे स्वस्थ और निरोगी जीवन के साथ आगे आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। गोष्ठी को मनीष पुरवार हीरु व देवेंद्र गुप्ता ने भी संबोधित किया। समापन पर यमुना तट पर सफाई करने वाले सफाई कर्मी रज्जन बाल्मीकि को यमुना घाट सेवा समिति के सदस्य ज्ञान सक्सेना ने ₹2000/- मासिक वेतन प्रदान किया अभियान व गोष्ठी प्रमुख रूप से बैंक से सेवानिवृत्त तेज बहादुर वर्मा, शेखर गुप्ता, भीमसेन सक्सेना, मनीष पुरवार (हीरु), ऋषभ पोरवाल, विनोद यादव (कल्लू), मोहित अग्रवाल (लकी), ज्ञान सक्सेना, संजय अग्रवाल, योग प्रशिक्षक देवेंद्र गुप्ता, अर्पित गुप्ता, सतीश पोरवाल, रज्जन बाल्मीक आदि यमुना मैया के सेवादार मौजूद रहे।