ज़कात निकालने से महफूज़ रहता माल:सैयद मज़हर चिश्ती
*मुक़द्दस रमजान के चौथे जुमा में बताई गयी सदक़ा व ज़कात की अहमियत *नमाज के बाद अमन चैन की मांगी गयीं दुआएं।
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
फफूंद,औरैया। मुक़द्दस माह रमजान के चौथे जुमा की नमाज में नगर की मस्जिदों में नमाजियों व रोज़ेदारों का एक हुजूम दिखाई दिया और भारी संख्या में लोग नगर की विभिन्न मस्जिदों में में जुमा की नमाज़ अदा करने के लिये पहुँचे।नमाज़ से पहले मस्जिदों में मौलाना/पेश इमाम ने लोगों को रोज़े की अहमियत बताते हुए ज़कात व सदके की जानकारी दी।नमाज के बाद नमाजियों ने हाथ उठा कर मुल्क में अमन चैन के लिए दुआ की। मुक़द्दस माह रमजान के चौथे जुमा को नगर की दरगाह बुखारी शाह ,मोहल्ला तरीन स्थित मदीना मस्जिद तथा जामा मस्जिद आस्ताना आलिया समदिया में अलग अलग समय पर जुमा की नमाज अदा की गई।नमाज़ के दौरान मस्जिदें नमाज़ियों से खचाखच भरी नज़र आईं। रमज़ान के बाईसवें रोज़े को पड़ने वाले चौथे जुमा की नमाज पढ़ने के लिए नमाज़ियों की काफी भीड़ नज़र आई।वहीं जुमा की नमाज़ से पहले जामा मस्जिद आस्ताना आलिया में मौलाना सैयद मज़हर मियां चिश्ती ने उपस्थित मुस्लिम समुदाय के लोगों को इफ्तार व जुमा की फ़ज़ीलत बताते हुए कहा कि इफ्तार के वक़्त अल्लाह तआला दस लाख गुनाहगारों की मग़फ़िरत फरमाता है और जुमा के दिन हर लम्हा दस लाख गुनाहगारों की मग़फ़िरत फरमाता है।वहीं उन्होंने सदक़ा और ज़कात की फ़ज़ीलत बयान करते हुए कहा कि अपने अपने माल व दौलत की ज़कात निकालो और ज़रूरतमंदों तक पहुंचाओ ज़कात निकालने से माल तमाम बलाओं से महफूज़ रहता है और कहा कि रमज़ान ऐसा मुक़द्दस महीना है कि जिसके बारे में नबी ने फरमाया की मेरी उम्मत को पता चल जाये कि रमज़ान क्या है तो मेरी उम्मत तमन्ना करती कि काश पूरा साल रमज़ान हो जाये।वहीं सदक़-ए-फित्र अदा करना हर मुसलमान पर वाजिब है इस साल सदक़-ए-फित्र की कीमत पचास रुपये/फर्द है।वहीं नमाज के बाद अमन चैन क़ायम रहने की दुआएं की गई।