गर्भवती महिला को लात मारने के मामले में, सरेनी कोतवाल का कहना थाने में नही है कोई तहरीर,12 दिनों से हो रही है जांच
माधव संदेश/ ब्यूरो चीफ जय सिंह यादव रायबरेली।
सरेनी/ रायबरेली। सरेनी थाने की पुलिस को कहे या उनके इंचार्ज को आज कल यहां की पुलिस लीलाएं रच रही है। तमाम अपराधिक मामलों में पुलिस यह कहती हुई नजर आती है कि तहरीर मिलते ही रिपोर्ट दर्ज करके जांच शुरू कर दी जाएगी। लेकिन इस थाने की पुलिस है जो यह बताती है कि तहरीर अभी तक थाने में मिली नहीं है लेकिन 12 दिनों से मामले की जांच की जा रही है । अब सवाल यह उठता है कि जब थाने में किसी भी प्रकार की तहरीर उपलब्ध ही नहीं है तो जांच किस बात की, की जा रही है। यही नहीं बीच गांव में गर्भवती महिला के गर्भ पर लात मारने जैसी घटना को जिन दर्जनों ग्रामीणों ने देखा सुना उनकी बात भी थानेदार मानने को तैयार नही है ।
नतीजा यह है कि अभी तक गर्भवती महिला के लात मारने की रिपोर्ट थाने की पुलिस ने दर्ज नहीं की। जबकि इस घटना के आज लगभग 12 दिन बीतने जा रहे हैं । बताते चलें कि सरेनी थाना क्षेत्र के ठकुराइन का पुरवा मजरे रालपुर में सुनील यादव नामक युवक पर लेखपाल और ग्राम प्रधान ने यह आरोप लगाया कि उसने ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा कर रखा है । इसी के लिए लेखपाल मौके पर गए थे। बताते हैं कि वहां पर विवाद हुआ और उसी विवाद में गर्भवती महिला के पेट पर लात मारी गई । सुनील का कहना है कि इसकी सूचना थाने पर दी गई । परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। रिपोर्ट उस वक्त भी नहीं दर्ज की गई।
रिपोर्ट न दर्ज होने और महिला के अंदरूनी पीड़ा के कारण सुनील कुमार ने अपनी पत्नी को जिला अस्पताल रायबरेली में भर्ती कराया । जहां वह 4 दिन तक भर्ती रही । चिकित्सक बताते हैं कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में एक तरफ चोट के लक्षण पाए गए हैं । लेकिन थाने की पुलिस ने इस पर भी रिपोर्ट नहीं दर्ज की। 12 दिन बीतने के बाद जब इस मामले में थानाध्यक्ष सरेनी से पूछा गया क्या घटना की रिपोर्ट दर्ज हो गई है ? तो उन्होंने खुद यह कहना शुरू कर दिया कि मैंने दरोगा की ट्रेनिंग ली है और आप पत्रकारिता कीजिए कोई सबूत हो तो मेरे पास भेजिए मेरे पास कोई भी तहरीर नहीं मिली है लेकिन मामले की जांच की जा रही है।
यहीं पर कानूनी दांव फंसता है कि किस तरह मामले की जांच की जा रही है जबकि थाने में तहरीर तक नहीं है और उसके बाद जब थाना इंचार्ज चौथे स्तंभ को इस तरह का जवाब दे सकते हैं तो फिर पीड़ितो के साथ कैसा बर्ताव करते होंगे या तो समझ में आ ही जाता होगा। सुनील ने इस मामले में ग्राम प्रधान लेखपाल सहित अन्य लोगों को नामजद किया है लेकिन लगता तो ऐसा है कि पूरा थाना प्रधान के ही कहने पर चल रहा है क्योंकि उसी के ग्रामसभा के लोगों की बात थाना इंचार्ज मानने को तैयार नहीं है और उल्टा सुनील के ऊपर ही इन लोगों की तहरीर पर मुकदमा भी पंजीकृत कर दिया है।