अमरूदों की मिट्टी खराब,10 रुपए भाव पर खरीददार नहीं

*राजस्थानी अमरूद की आवक ज्यादा

फोटो:- एक ठेले पर अमरूद बिकते, खरीददार नदारत

जसवंतनगर (इटावा)। इस बार जैसे सब्जियां मिट्टी मोल बिक रहीं हैं, उसी तरह फलों की भी मिट्टी खराब है। पिछले 2 महीने से सेव ,जहां 40- 50 रुपए प्रति किलो तक बिक रहे है, उसी तरह इन दिनों जमकर बिकने वाला अमरूद भी अब बहुत सस्ता होने के बावजूद उसके खरीददार कम है।

सर्दियों में खासतर से 15 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी तक अमरूद की डिमांड काफी रहती है। लोग बड़े ही चाव से अमरूद खाते हैं।

इस बार बाजारों में अमरूद पिछले सालों की तुलना में बहुत ज्यादा आया है। अमरूद की वैरायटी इस बार, जो बाजार में आई है ।वह राजस्थान से आ रही है। यह अमरूद साइज में न केवल बड़े हैं। बल्कि स्वादिष्ट भी हैं। इन अमरूदों का स्वाद लोगों को बहुत पसंद आ रहा है ।इसके अलावा मैनपुरी जिले के किशनी इलाके का अमरूद भी जसवंतनगर और इटावा में आ रहा है। जो राजस्थानी अमरूद के मुकाबले साइज में छोटा है, मगर उसका स्वाद राजस्थानी अमरूद की अपेक्षा जैसा नहीं है। दोनों तरह के अमरूद आने से इस बार बाजारों में अमरुद बहुतायत से आया है।

पहले यहां आसपास के इलाको लरखौर और हैंवरा के बागों के अमरूद बिकता था। इलाहाबाद और कानपुर से भी फल विक्रेता अमरूद लाते थे, मगर इस बार राजस्थानी अमरूद ही ज्यादा बिक रहा है।

यहां के ठोक फल विक्रेता राजू केला वाले में बताया है कि जसवंत नगर में रोजाना दो ट्रक भरकर करीब 300 पेटी अमरूद की आवक है। कोहरा और भीषण सर्दी के चलते लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है इस वजह से अमरूद की बिक्री बहुत ही कम हो रही है। दिन भर में बमुश्किल 100 दिन 150 पेटी ही।अमरूद बिक पा रहा है। अमरूद की 1पेटी थोक में 200 रुपए की बिक रही है। फुटकर विक्रेता सबेरे के समय जल्द बिक्री के चक्कर में 15 और 20 रुपए प्रति किलो बेचना शुरू करते हैं, मगर शाम तक नहीं बिकते तो रेट गिरा देते हैं। सारे बेचने के चक्कर में शाम को 8 या 10 रुपए भाव बेचकर घाटा खाते हैं, क्योंकि दूसरे दिन तक अमरूद ज्यादा पककर बेकार हो जाता है।

अब फल विक्रेता मकर संक्रांति का इंतजार कर रहे हैं, जिस दिन ज्यादा बिक्री होकर उन्हें कुछ फायदा हो जाएगा।

*वेदव्रत गुप्ता

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