बंपर पैदावारी ने की हरी सब्जियों की मिट्टी खराब, मिट्टी मोल बिक रहीं
* सब्जी उत्पादकों की आवाज कोई नहीं उठा रहा
फोटो:- एक सब्जी विक्रेता की दुकान पर सब्जियां मिट्टी मोल होते हुए भी सन्नाटा
जसवंतनगर(इटावा)।सर्दियों के सीजन में हरी सब्जियों की पैदावार जमकर होती है और लोगों को सब्जियां न केवल आसानी से उपलब्ध होती है ,बल्कि सस्ते भाव में भी मिलती हैं।
मगर इस वर्ष हरी सब्जियों की मंडियों में मिट्टी खराब है।अब आप जेब में केवल 50 या100 रुपए लेकर जाइए, तो आपका न केवल झोला भर जाएगा,बल्कि फिर एक या दो हफ्ते सब्जी मंडी नहीं आना पड़ेगा।
गर्मियों में 50 से लेकर 100रुपए किलो तक भाव में बिकने वाला टमाटर इन दिनों अपनी लालामी खो चुका है। थोक मंडी में10 किलो डलिया भर टमाटर मात्र 70- 80 रुपए में नीलामी में बिक रहा है। बाजार में हालांकि हालात यह है कि टमाटर का भाव सुबह के समय 15 या 20रुपए प्रति किलो फुटकर में होता है। मगर शाम होने तक तक टमाटर दस बारह रुपए किलो तक ही रह जाता है ।
सर्वत्र टमाटर की बंपर पैदावार होने के कारण इस बार जसवंतनगर से दिल्ली और लखनऊ की तरफ होने वाली टमाटर का लदान एकदम बंद है। वरना यहां दिसंबर और जनवरी में भी टमाटर का भाव पिछले चार-पांच वर्षों से 25 रुपए किलो से नीचे कभी नही उतरा था।
सर्वाधिक मिट्टी खराब तो गोभी की है। गोभी के फूल, जो 40से50रुपए किलो भाव से आमतौर से मिलते थे। वह इन दिनों 10 रुपए में 2 या 3 फूल मंडियों में बिक रहे हैं। पत्ता गोभी की हालत भी यही है।10 रुपए किलो के भाव के भी खरीददार नही हैं।
इस वर्ष अक्टूबर में बरसात होने के कारण गोभी, बैगन, टमाटर ,मिर्च आदि की पौध मारी गई थी। मगर नवंबर में वायुमंडल का तापमान 18- 20 डिग्री के आसपास आ जाने और उसके बाद निरंतर तापमान स्थिर चलने व इनकी फसलों में कीड़े मकोड़े और बीमारियां कम लगने तथा जमीन में अच्छी खासी नमी रहने से इन सब की पैदावार बंपर हुई है।
इन दिनों बथुआ भी ₹10 किलो से नीचे भाव पर बिक रहा है, जबकि मेथी और सोया 20- 25 रुपए किलो या उससे नीचा है।
प्याज की भी अच्छी पैदावार होने की उम्मीद में पुराना प्याज हटाया जा रहा है। इसलिए उसका भी भाव 15-20 या बहुत अच्छे का 25 रुपए किलो ही रह गया है।
टमाटर और प्याज के तेज भाव होने पर अक्सर देशभर में हल्ला मचता है, मगर इस समय इनके मिट्टी मोल भाव बिकने पर कोई शोरशराबा या टीवी पर चर्चा परिचर्चा नही हो रही है। किसान को लाभकारी मूल्य से भी नीचे भाव मिलने को लेकर सरकार भी कोई खैरखबर इनके भावों को लेकर नही ले रही।
बैगन, हरी मिर्च, सरसों का साग, चने का साग भी सस्ता बिक रहा है। मूली की भी मिट्टी खराब है। आप अगर थोक मंडी में पहुंच जाएं ,तो मूली आपको 10 रुपए में 5 किलो तक अच्छी से अच्छी मिल जाएगी।
शाक -सब्जियों में सबसे महत्वपूर्ण आलू भी अब काफी सस्ता हो गया है ।पुराना कोल्ड स्टोर से निकला 30 से 40 रुपए का 5 किलो मिल रहा है जबकि नए आलू की कीमत 50 और ₹60 प्रति 5 किलो है। मसलन नया आलू 10रुपए किलो भाव में मंडियों में उपलब्ध है। हरी मटर की पैदावार जसवंत नगर में अब कम होती है, फिर भी जालौन इलाके से आकर सुबह के वक्त जहां30 रूपया किलो बिकती है, वही शाम होते- होते 20 ही रह जाती है।
एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि इन दिनों पौष माह चलने से लोगों के यहां शादियां आदि के कार्यक्रम नहीं चल रहे, इसलिए सब्जियों की खपत काफी कम है। इस कारण भी भाव डाउन है। अदरक भी 30 – 40 रुपए किलो के भाव में आसानी से मिल रहा है ,जबकि गाजर यहां किसान खूब पैदा करते हैं, इसलिए इन दिनों 25 – 30 रुपए किलो बिकने वाली गाजर 10 -15 रुपए में किलो उपलब्ध है।
बस मंहगी तो सेम और शिमला मिर्च है, जिनकी खपत आम तौर पर कम ही रहती है।
कोहरा और तेज ठंड पड़ने से यहां के इलाके में सब्जियों की पैदावार और बढ़ने की संभावना है, बशर्ते पाला या तेज बरसात न हो जाए।आलू का रकबा इटावा जिले में कुल खेती का 60 प्रतिशत होने और फसल पर झुलसा आदि का प्रकोप न होने से यह उम्मीद की जा रही है कि आलू 5 से 6 रुपए किलो के सस्ते भाव में आगे बिकने लगेगा।
*वेदव्रत गुप्ता